Patna: “आज से छठ पूजा की शुरुआत हो रही है. पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी ‘नहाय-खाये’ के रूप में मनाया जाता है। घर की सफाई के बाद छठव्रती स्नान कर पवित्र तरीके से भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरआत करते हैं । द्रौपदी ने रखा था व्रत : इस पर्व को स्त्री और पुरुष समान रूप से मानते हैं। छठ के सम्बन्ध में अनेक कथाये प्रचलित है। जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हर गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था।
लोक परम्परा के अनुसार सूर्य देव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई- बहन का है। लोक मातृका षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी। छठ पर्व की परंपरा में भौत ही गहरा विज्ञान छिपा हुआ है। षष्ठी तिथि एक खास खगोलीय अवसर है। इस पर्व में सफाई का बहुत ध्यान रखा जाता है। पूजा में प्राकृतिक वस्तुओं और उनसे बने समान का उपयोग किया जाता है। एक ही घाट पर विभिन्न जाति के लोग इकट्ठा होते हैं, जिनसे सामाजिक समरसता भी बढ़ती है।
छठ पर्व के समय सूर्य की पराबैगनी किरणें पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाती है। उसके संभावित कुप्रभावों से मानव की यथासंभव रक्षा करने का सामर्थ इस परंपरा में है। यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। हिन्दुओं दवारा मनाये जानेवाले इस पर्व को अन्य धर्म के लोग भी मानते हैं। पिछले एक दशक में धीरे-धीरे इस पर्व का विस्तार हुआ है। यह पर्व प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ विश्व भर में प्रचलित व प्रसिद्ध हो गया है। चार दिवसीय इस व्रत की सबसे कठिन और महत्वपूर्ण रात्रि कार्तिक शुक्ल षष्ठी की होती है। इसलिए इसे छठ व्रत कहते हैं।
छठ पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है ।पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी को मनाये जानेवाले छठ पर्व को चैती छठ वे कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी को मनाये जानेवाले पर्व को कार्तिकी छठ कहते हैं। सूर्य यानी आदिदेव सूर्य की धरती के सकल प्राणी को अत्यंत आवश्यकता है। धरती सूखे, वातावरण ऊष्मा से भरा हो, प्रकशित हो अग-जग। सूर्य जीवन है। सूर्य ही जल के स्रोत को रह देता है। इस मौके पर यह सकल्प लेना सही होगा कि हम विलुप्त होती उद्विज, फल-फूल, कंद को प्रयोग में लाने के लिए उसका संरक्षण करें।
Input: pune samachar.com
No comments:
Post a Comment
Thanks 4 your comment