अगस्त 2018 के महीने में एक रिपोर्ट सार्वजनिक हुई थी. इसी रिपोर्ट ने बिहार के शेल्टर होम्स में हो रहे 'महापाप' का कच्चा चिट्ठा खोल कर रख दिया था. ये रिपोर्ट तब आई थी जब मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में यौन उत्पीड़न पर राजनीति गरमाई हुई थी. इसी बीच जब टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) द्वारा पेश की गई रिपोर्ट जब सामने आई तो कई खुलासे हुए. प्रदेश के अमूमन सभी शेल्टर होम्स में यह समस्या पाई गई है. रिपोर्ट के अनुसार सभी शेल्टर होम्स में लड़कियों का यौन उत्पीड़न हुआ, कहीं कम तो कहीं ज्यादा हुआ है.आपको बता दें कि TISS ने बीते साल अप्रैल महीने में अपनी रिपोर्ट समाज कल्याण विभाग को सौंपी थी. जिसे अगस्त में बिहार सरकार ने ही सार्वजनिक किया था. यह रिपोर्ट 100 पन्नों की है, जिसमें कहा गया है कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में लड़कियों से यौन उत्पीड़न और हिंसा के मामले ज्यादा गंभीरता से सामने आए. आपको बता दें कि यह शेल्टर होम ब्रजेश ठाकुर द्वारा संचालित था, जो अब इसी मामले में जेल में है. कई लड़कियों ने उनके साथ रेप किए जाने और हिंसा के मामलों की शिकायत भी दर्ज करवाई थी. बाद में जांच में यह सामने आया कि 34 लड़कियों के साथ दुष्कर्म किया गया था. इस मामले में सीबीआई ने भी चार्जशीट दायर कर दिया है. TISS रिपोर्ट में पटना के भी लगभग सभी शेल्टर होम को उजागर किया गया था. रिपोर्ट के अनुसार पटना में चल रहे लगभग सभी शेल्टर होम की स्थिति बेहद ही खतरनाक पाई गई. इनमें प्रमुख 'नारी गुंजन' है. इनके अलावा मधुबनी की 'आरवीईएसके' और कैमूर की 'ज्ञान भारती' संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे शेल्टर होम्स में जिस तरह की स्थिति पाई गई, वह बेहद खतरनाक बताई गई थी.बता दें कि TISS की इस रिपोर्ट के बाद मुजफ्फरपुर शेल्टर होम का मामला सामने आया था, जिसके बाद बिहार सरकारी मंत्री मंजू वर्मा पर खूब दबाव बना और उन्हें अपने पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था. फिलहाल वह भी अपने पति चंद्रशेखर वर्मा के साथ जेल में बंद हैं. आपको बता दें कि इस मामले में बिहार सरकार की जमकर किरकिरी हुई।
source: News18
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