बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में पंचायत भवन के एक कमरे में बंद 45 गायों की मौत हो गई है. इस घटना की जानकारी बिलासपुर जिले के जिलाधिकारी सारांश मित्तर ने शनिवार को दी. सारांश मित्तर ने बताया कि जिले के तखतपुर विकासखंड के अंतर्गत मेड़पार ग्राम पंचायत में गायों की मौत की जानकारी मिली है. गांव के पुराने पंचायत भवन में लगभग 60 गायों को बंद कर रखा गया था. जब वहां बदबू फैली तब ग्रामीणों ने इसकी सूचना स्थानीय अधिकारियों को दी.
ग्रामीणों की सूचना पर घटनास्थल पर मवेशियों के चिकित्सक वहां पहुंचे. जब तक अधिकारी वहां पहुंचे तब तक 60 में से 45 गायों की मौत हो चुकी थी. मित्तर ने बताया कि गायों के पोस्टमार्टम से जानकारी मिली है कि गायों की मौत दम घुटने से हुई है. इस समय 15 गायों की हालत स्थिर है. पोस्टमार्टम के बाद मृत गायों को दफना दिया गया है.
मित्तर ने बताया कि जिला प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 13 तथा आईपीसी की धारा 429 के तहत केस दर्ज कराया है. इसके अलावा अतिरिक्त जिलाधिकारी स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में जांच के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया गया है. इसमें जो लोग भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी.
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा है कि मवेशियों की मौत के इस ताजे मामले से यह स्पष्ट हो गया है कि नरवा-गरुवा-घुरवा-बारी का नारा देने और गौ-धन न्याय योजना का ढोल पीटने वाली प्रदेश की कांग्रेस सरकार गौठानों की कोई पुख्ता इंतजाम तक नहीं कर पा रही है. गौ-धन की मौतों का यह सिलसिला राज्य सरकार के लिए महंगा पड़ेगा.
विष्णुदेव साय ने कहा है कि गौ-वंश की रक्षा न कर पाना राज्य सरकार के कृषि-विरोधी चरित्र का परिचायक है. कुल मिलाकर, ‘रोका-छेका’ और गौ-धन न्याय योजना की सियासी नौटंकी खेलकर मुख्यमंत्री अपने दोहरे राजनीतिक चरित्र का प्रदर्शन कर रहे हैं. वह गौ-धन की रक्षा के नाम पर सिर्फ हवा-हवाई बातें कर रहे हैं.
इनपुट: भाषा
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