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Saturday, July 25, 2020

Dil Bechara Movie Review: आखिरी फ़िल्म में भी सुशांत सिंह राजपूत सीखा गए ज़िंदगी जीने का सलीका


"हो जाओ गर तनहा कभी तो मेरा नाम याद रखनामुझे याद हैं सितम तेरे , तू मेरा प्यार याद रखना"

ये कोई शायरी नही ये वो जज़्बात है जो शायद सुशांत आज हमसे कही न कही कह रहे होंगे। जी हां आज भले ही सुशांत सिंह राजपूत हमारे बीच नही है पर उनकी याद हमेशा हमारे दिल मे रहेगी। आज सुशांत के गुज़रे हुए महीनों हो गए। अब वो हमें बस अपनी बेहतरीन कलाकारियो में दिखेंगे। उन्होंने भले ही एक दर्जन फिल्मे की हो पर उन्होंने उतनी सी फिल्मो में ही हमे ज़िंदगी के कई अलग अलग रंगों से रूबरू करवा दिया। कल यानी 24 जुलाई 2020 को वो हमसे आखिरी बार जी हां आखिरी बार रूबरू हुए। वो हमसे अंतिम बार विदा होने को फिर से मिले। हम बात कर रहे है उनकी अंतिम फ़िल्म 'दिल बेचारा' की। 'दिल बेचारा' किसने जाना था कि यह फ़िल्म उनकी आखिरी फ़िल्म होगी। वो अपने आखिरी फ़िल्म में भी हमे ज़िंदगी को ज़िंदादिली से जीना सीखा गए पर विडंबना यह है कि वो खुद इस जंग से हार गए। आज भी जब हम ये देखते है कि जिस इंसान ने अपने ज़िन्दगी में वो तमाम चीज़े हासिल कर ली थी जिसकी उसे तम्मना थी तो आखिर में क्यों उस शख्स ने वो कदम उठाया जिसकी किसी ने कभी कल्पना ही नही की थी। खैर छोड़िये आइये हम बात करते है सुशांत सिंह राजपूत की अंतिम फ़िल्म 'दिल बेचारा' की

सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म दिल बेचारा रिलीज हो गई है। इस फिल्म का फैन्स बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। फैन्स चाहते थे कि यह फिल्म थिएटर पर रिलीज हो, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से सभी थिएटर्स बंद हैं और इसी वजह से फिल्म को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज किया गया। खास बात यह है कि फिल्म को देखने के लिए किसी को भी हॉटस्टार का सब्सक्रिप्शन नहीं लेना। नॉन सब्सक्राइबर्स भी इस फिल्म को फ्री में देख सकेंगे।


फिल्म:- दिल बेचारा

स्टार कास्ट और क्रू:- सुशांत सिंह राजपूत, संजना सांघी,स्वास्तिका मुखर्जी, साश्वता चटर्जी


ये तो वो नाम है जो इस फ़िल्म के लीड रोल में है। वैसे इस फ़िल्म की कहानी कुल 18 छोटे बड़े किरदारों के साथ मिल कर बुनी गई है आइये रूबरू होते है उन तमाम किरदारों से।

1. सुशांत सिंह राजपूत (इमानुअल राजकुमार जूनियर/मैनी) 2. संजना सांघी (किजी बासु) 3. साहिल वैध (जगदीश पांडे/ जेपी) 4. सास्वता चटर्जी (मि. बासु) 5. स्वास्तिका मुखर्जी ( मिसेज बासु) 6. सुनीत टंडन (डॉ झा) 7. सैफ अली खान (अभिमन्यु वीर) 8. मिशेल मुथु (मैनी के पिता) 9. रजि विजय सारथी (मैनी की माँ) 10. सुब्बलक्ष्मी (मैनी की नानी) 11. फर्नाइता जिजाना (फौजी) 12. दुर्गेश कुमार (रिक्शा चालक) 13. सलोनी मेहता (मिसेज दमानिया) 14. अनंदिता सरकार (मिसेज डि कोस्टा) 15. निमिषा डीन (कॉलेज फ्रेंड) 16. राकेश क्रूष्णा जोशी (राकेश) 17. ऋत्विक जोशी (ग़ज़ल गायक) 18. सौरव खुराना (रोगी)


कहानी की शुरुआत:-

कहानी की शुरुआत होती है कीजी बासु यानि संजना सांघी के नैरेशन के साथ झारखंड के जमशेदपुर में कहानी की शुरुआत होती है। किजी बासु अपनी माँ व पिता के साथ रहती है। पिता जिनकी सुबह हो या शाम जानवरो के साथ शुरू व उन्ही के साथ खत्म होती है यानी वो जियोग्राफिकल चैनल देखना पसंद करते हैं। वही किजी की माँ को सिर्फ खाना खिलाना पसंद है। उनका मानना है कि चाहे कितना भी खाना खालो बिना सोन्देश के खाना पूरा हो नही सकता है, क्योंकि सोन्देश के बिना कोई भी बंगाली पूरा नही होता है। वही किजी वो लड़की है जिसकी ज़िंदगी सिर्फ दवाइयों और उसके पुष्पेंदर यानी ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ ही शुरू होती है। वो एक कैंसर पीड़ित लड़की है जो अपने आप मे ही सिमटी रहती हैं। अपने सारे दुखो को बस अपने अंदर ही रखना उसे पसंद है। लेकिन उसकी जिंदगी में तब एक बदलाव होता है जब उसका सामना इमेनुअल राजकुमार जूनियर उर्फ मैनी यानी सुशांत सिंह राजपूत से होती है। मैनी के आने के बाद कीजी की लाइफ बदल जाती है। मैनी, कीजी के हर सपने को पूरा करने की कोशिश करता है। दोनों के बीच सब अच्छा चल रहा होता है कि तभी कुछ ऐसा होता है जिसके बाद कहानी में एक टर्न आता है। अब वो टर्न क्या है इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी।


रिव्यू

सुशांत के फैन्स जो उनके निधन से दुखी थे, वे सुशांत को स्क्रीन पर देखकर खुश होंगे क्योंकि अपनी आखिरी फिल्म में सुशांत ने जिंदगी से जुड़ी कई बड़ी सीख सिखाई। सुशांत ने मैनी का किरदार बहुत अच्छे से निभाया जैसे कि ये किरदार सिर्फ उनके लिए बना है। सुशांत के एक्सप्रेशन, डायलॉग डिलिवरी सब परफेक्ट हैं। 

वहीं कीजी का किरदार निभा रहीं संजना सांघी ने भी शानदार परफॉर्मेंस दी है। संजना ने हर सीन में अपना बेस्ट दिया है। वहीं कीजी की मां और पापा का किरदार निभा रहे स्वास्तिका मुखर्जी और साश्वता चटर्जी ने भी अपना पार्ट अच्छे से निभाया। सैफ अली खान ने फिल्म में कैमियो किया है। भले ही वह सिर्फ कुछ मिनट के लिए स्क्रीन पर आए, लेकिन उन्होंने उन कुछ मिनटों में ही अपनी छाप छोड़ दी।


मुकेश छाबड़ा ने इस फिल्म के जरिए डायरेक्टर के तौर पर डेब्यू किया है और मानना पड़ेगा कि पहली फिल्म के हिसाब से मुकेश ने काफी अच्छा काम किया है। उन्होंने इस छोटी और प्यारी कहानी को परदे पर अच्छे से दिखाया है। फिल्म के कुछ डायलॉग्स बहुत अच्छे हैं।  

मुकेश छाबड़ा ने इस फिल्म के जरिए डायरेक्टर के तौर पर डेब्यू किया है और मानना पड़ेगा कि पहली फिल्म के हिसाब से मुकेश ने काफी अच्छा काम किया है। उन्होंने इस छोटी और प्यारी कहानी को परदे पर अच्छे से दिखाया है। फिल्म के कुछ डायलॉग्स बहुत अच्छे हैं।  


क्यों देखें

सुशांत और संजना की बेहतरीन एक्टिंग और साथ ही जिंदगी को लेकर जो सुशांत ने सीख दी है उसके लिए आपको यह फिल्म देखनी चाहिए।


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